



उन्होंने बताया, “सरकार ने दलील दी थी कि जिस मामले में याचिकाकर्ता पीड़ित थे उस मामले में उन्होंने अपील दायर नहीं की.और इस मामले में उनका वाद नहीं बनता था. यह मेंटेनेबल यानी कि आगे सुनवाई लायक नहीं पाया गया.”
आपको बता दें कि हाजी महबूब अहमद और सईद अख़लाक अहमद नाम के दो लोगों ने सीबीआई अदालत के सितम्बर 2020 के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 32 अभियुक्तों को बरी कर दिया था. अभियुक्तों में एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती के नाम शामिल थे. इन सभी पर 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के पीछे आपराधिक साजिश रचने का आरोप था.
विशेष न्यायाधीश ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है. न्यायाधीश ने साथ ही कहा कि ये विध्वंस सुनियोजित नहीं था।
गुर्जर महेंद्र नागर
प्रधान सम्पादक
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