



झाँसी ! यातायात नियंत्रण के लिए यूं तो जनपद में अलग से विभाग बना हुआ है। यातायात विभाग ने अपने कर्मचारियों को ट्रैफिक कंट्रोल के लिए लगाया है। मगर सच्चाई इससे एकदम अलग है। जनपद की ट्रैफिक व्यवस्था होमगार्डों के जवानों के कंधों पर ही चल रही है। यातायात विभाग के अधिकांश कर्मचारी मोबाइल पर ही चिपके रहते हैं। धूप हो या बारिश ट्रैफिक कंट्रोल की जिम्मेदारी होमगार्ड के जवान ही संभालते हैं।
जिले की यातायात व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के जवान लगाए गए हैं। इसके बाद भी ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई रहती है। जनता को रोजाना जाम की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। तेज धूप होते ही ट्रैफिक पुलिस के सिपाही छांव खोजने लगते हैं। वह छांव में खड़े होकर मोबाइल फोन चलाने में व्यस्त हो जाते हैं।
वही एक ऐसा होमगार्ड जो ट्रैफिक का संचालन कर अपनी ड्यूटी को मुस्तैदी से अंजाम दे रहे है.
बताते चले कि होमगार्ड कमलेश कुमार श्रीवास्तव विभाग में करीब 32 वर्षो सेवा दे रहे कमलेश श्रीवास्तव को उनके सराहनीय कार्यों कई बार प्रशस्ति पत्र भी मिल चुके है. पूर्व में होमगार्ड कमाण्डेट आरके आजाद ने भी प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया.
होमगार्ड कमलेश अपनी ड्यूटी इतनी मुस्तैदी से करते है कोई भी प्रभावशाली व्यक्ति हो उसको नियम विरुद्ध नहीं निकलने देते. जब से उनकी ड्यूटी सीपरी बाजार पेट्रोल पंप पर लगी है मजाल है किसी टैक्सी चालक कि नियम विरुद्ध टैक्सी खड़ी करे जिससे यातायात अवरुद्ध हो.
होमगार्ड कमलेश के बारे में सीपरी बाजार पेट्रोल पंप के समीप हाथठेला व्यापारी, टैक्सी चालकों और राहगीरों से चर्चा कि सभी लोगो ने उनके सरल सव्भाव व ईमानदारी से ड्यूटी करने कि प्रसंशा की. और कहा की ऐसे ईमानदार व कर्त्तव्यनिष्ठा पूर्ण ड्यूटी कर रहे छोटे कर्मचारियों को 15 अगस्त पर उच्चाधिकारियों द्वारा सम्मानित किया जाना चाइये जिससे ईमानदारी से अपनी सेवा देने कर्मचारियों का हौसला और बढ़ सके.
व्यापारियों ने कहा कि जिस प्रकार कामेश अपनी ड्यूटी कड़ी धुप व बरसात में मुस्तैदी से निभा रहे, अन्य कर्मचारियों को इनसे सिख लेनी चाहिए.
बताते चले कि ओवरब्रिज निर्माण के समय होमगार्ड कमलेश कि ड्यूटी कच्चे पुल के समीप लगी थी. जब ये ड्यूटी पर तैनात रहते थे यातायात में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं हुआ. वहाँ कमलेश ड्यूटी करते समय छोटे छोटे बच्चो से बड़े घुल मिल गए जिससे ये बच्चो के प्रिय पुलिस वाले अंकल के नाम से जाने लगे थे।